जयपुर। राजस्थान के शानदार घुड़सवार पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, वहीं इनके प्रशिक्षण के लिए जयपुर का शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल इतिहास रच रहा है। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल से प्रशिक्षित न केवल राष्ट्रीय स्तर पर अपना मुकाम हासिल कर रहे हैं बल्कि वर्ल्ड लेवल की प्रतियोगिताओं में भी भाग ले रहे हैं। इस संस्थान से अनेक बच्चों व युवाओं ने प्रशिक्षण लेकर ना केवल देश बल्कि विदेश में भी राजस्थान का नाम गौरवान्वित किया है। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल की स्थापना जयपुर में वर्ष 2017 में सेना के 61 केवलरी से रिटायर होने के बाद मदन सिंह शेखावत ने की। इन्होंने कई बच्चों-युवाओं को हॉर्स जंपिंग, ड्रेसाज, क्रॉस कंट्री आदि बेहतर तरीके से सिखाई। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल सिरसी, भांकरोटा में 3 बीघा में फैला हुआ है और शहरी जीवन से दूर शांत और प्राकृतिक वातावरण में है। यहां की स्वच्छ हवा में न केवल घुड़सवार बल्कि घोड़ों को भी अलग ही आनंद आता है। यहां घुड़सवार निर्भीक होकर प्रशिक्षण के लिए प्रेरित होते हैं। घुड़सवार की ट्रेनिंग 30 मिनट से 1 घंटे तक की होती है। लगभग एक साल की ट्रेनिंग के बाद बच्चे नेशनल खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। नेशनल खेलने के लिए दो प्रतियोगिताएं राज्य लेवल की जीतनी जरूरी हैं। इसके बाद ही घुड़सवार नेशनल लेवल की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए चयनित किए जाते हैं।

शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल में घुड़सवार प्रशिक्षित होकर नेशनल प्रतियोगिता जीतने के बाद सेना, बीएसएफ, पैरामिलिट्री फोर्स में डायरेक्ट भर्ती के लिए भी सेलेक्ट किए जाते हैं। इसके साथ ही शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल में अच्छे प्रशिक्षक भी तैयार किए जाते हैं, जिनको आर्म फोर्सेज एवं विदेशों में नौकरी करने का अवसर मिलता है। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल में 8 साल से बच्चों की ट्रेनिंग स्टार्ट की जाती है। हॉर्स राइडिंग बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ बहादुरी का जज्बा भी पैदा करती है। हॉर्स राइडिंग से बच्चों में एकाग्रता, संयम, गुस्सा कंट्रोल करना एवं एक-दूसरे के हावभाव पहचानने की क्षमता तेज होती है।

मदन सिंह शेखावत का मानना है कि घुड़सवारी करने से अधिकतर सवार स्ट्रेस फ्री तथा डिप्रेशन, बीपी, डायबिटीज आदि जैसी बीमारियों से कोसों दूर रहते हैं। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल में बेसिक ट्रेनिंग भी दो प्रशिक्षित घुड़सवार के साथ मिलकर दी जाती है, ताकि घुड़सवार को घोड़े पर बैठने के बाद घोड़े पर भरोसा पैदा हो सके। मदन सिंह शेखावत थोरो घोड़ों के साथ-साथ मारवाड़ी घोड़ों से भी बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्होंने ना केवल मारवाड़ी घोड़ों को ट्रेनिंग देकर थोरो घोड़ो के बराबर बनाया है बल्कि उस चुनौती को भी ललकारा है जिसमें उन्हें कहा गया था कि क्या मारवाड़ी हमारे थोरो घोड़ों के आगे जीत पाएंगे? उन्होंने यह साबित कर दिया है कि थोरो घोड़ों के साथ-साथ मारवाड़ी घोड़े पर भी प्रतियोगिता जीती जा सकती है, बशर्ते सिखाने वाले और सीखने वाले का जज्बा किसी से भी कम ना हो। शेखावाटी हॉर्स राइडिंग स्कूल से 9829658117 पर संपर्क किया जा सकता है।

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